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Bull vs. Bear Markets - Stock Bhoomi |
शेयर बाजार में अक्सर “बुल” और “बियर” मार्केट के बारे में सुनते होंगे । यह दो शर्त बाजार की स्थिति को दिखाने के लिए उपयोग होता है और समझना भी जरूरी है कि यह क्या है और यह निवेश पर कैसे प्रभाव डालते हैं
बुल मार्केट उस समय होता है जिस समय शेयर बाजार में लगातार पैसा वृद्धि हो रहा है इसके कुछ कारण भी शामिल है सबसे पहले उसका वह कारण जानना जरूरी है।
जैसे, उदाहरण के लिए आपको बता दें 2003 से 2007 का दौरा भारत के शेयर बाजार में बुल मार्केट था, और जहां सेंसेक्स में लगातार बड़ा वृद्धि देखा गया था|
बियर मार्केट उस समय होती है जिस समय बाजार में गिरावट शुरू होता है इसके कुछ लक्षण है:
जैसे, उदाहरण के लिए आपको हम बता दें” “2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के दरमियान भारत के बाजार बियर मार्केट का सामना कर रहा था, कई कंपनियों के शेयरो मैं बहुत ज्यादा गिरावट हुआ था।
बुल मार्केट में, निवेशकों को लाभ की संभावना ज्यादा होता है और बहुत सारे लोग निवेश करते हैं। लोगों में निवेश करने के उत्साह ज्यादा होता है। जोखम उठाने को तैयार रहते हैं
बियर मार्केट में नुकसान का डर निवेशकों को अपने पूंजी खोने का डर मैं स्टॉक बेचने की जल्दबाजी होता है निवेश में कमी होने के कारण कई लोग बाजार में वापस आने से डरते हैं जिससे गिरावट और भी ज्यादा होने लगता है
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बुल और बियर मार्केट में निवेशक को उनके निर्णय बहुत जरूरी हैं समझना बहुत जरूरी है कि बाजार में रिस्क कैसे काम करता है ताकि सही समय पर निवेश किया जा सके। निवेश को सोच समझ कर निर्णय लेना चाहिए चाहे बाजार बुल हो या बियर। यह समझ उन्हें संभावित लाभ और जोखम को संतुलित करने में मदद मिलेगा
डिस्क्लेमर
कृपया ध्यान दें स्टॉकभूमि आपको कभी भी निवेश करने की सलाह नहीं देता शेयर बाजार जोखिम से भरा हुआ है कृपया कोई भी निवेश करने से पहले अपने सलाहकार से सलाह अवश्य लें स्टॉकभूमि पर दिया गया विचार स्टॉकभूमि का निजी विचार हो सकता है